मेरी कहानी 187
सुबह उठे और मशवरा करने लगे कि आज कहाँ जाना था तो मैंने कहा जसवंत ! इतने दिन हो गए
Read Moreसुबह उठे और मशवरा करने लगे कि आज कहाँ जाना था तो मैंने कहा जसवंत ! इतने दिन हो गए
Read Moreमाँ बताती हैं मैंने अपनी पहली कविता एक प्लेन क्रेश पर लिखी थी । वो अंग्रेजी में थी ,सन् 1972
Read Moreटैक्सी वाले ने जो स्क्रैच कार्ड हम को दिए थे, उन में तरसेम की हौलिडे की लाटरी निकल आई थी।
Read Moreकैलंगूट की हाई स्ट्रीट में आ कर हम दोनों तरफ के होटलों का ज़ायज़ा लेते जा रहे थे कि एक
Read Moreटैक्सी में बैठ कर हम फ्रांसिस एगज़ेविअर चर्च देखने चल पड़े। जब हम छुटियों पर होते हैं और घर से
Read Moreस्पाइस गार्डन मुझे तो इतना अच्छा लगा था कि इस की याद अभी तक आती है। पूरा गार्डन तो हमें
Read Moreबात 1977 की है जब आम चुनावों में श्रीमती इंदिराजी की हार हो गयी थी और श्री मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री
Read Moreअपने अपने कमरों में सामान रख कर हम बाहर को जाने लगे। कुछ गज़ की दूरी पर ही एक कैंटीन
Read Moreगोआ जाने की तयारी हो गई थी। इंग्लैंड में तो उस समय बहुत सर्दी पढ़ रही थी और कुछ कुछ
Read Moreमाँ बताती हैं मैंने अपनी पहली कविता एक प्लेन क्रेश पर लिखी थी । वो अंग्रेजी में थी ,सन् शायद
Read More