मेरी कहानी 59
सुबह उठ कर होटल में नहा धो कर नाश्ता किया। हमारी कोच आ गई थी। एक सरदार जी ड्राइवर थे
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Read Moreमेरा दोस्त जीत एक दिन मेरे घर आया और बोला ,”गुरमेल , मैंने कॉलेज छोड़ देना है क्योंकि मैं बापू
Read Moreहमारे इंटरमीडिएट के एग्जाम हो चुक्के थे और अच्छे नंबरों पर मैं, जीत और बहादर तीनों पास हो गए थे।
Read Moreरंजीत सिंह के बाद फिजिक्स के प्रोफेसर अजीत सिंह थे जो काफी स्मार्ट होते थे और हर रोज़ नई नेकटाई
Read Moreकॉलेज में मैंने चार साल पढ़ाई की और सच कहूँ तो यह चार साल वक्त ही पास किया क्योंकि ना
Read Moreमैट्रिक के रिज़ल्ट के बाद अब हम ने फैसला करना था कालज जाने का। जीत बहादर ने तो फैसला कर
Read Moreमैं दोपहर में नहीं सोती,क्यों कि सोने के लिए रात काफी होती है ! अगर कभी मैं दिन में सो
Read Moreजालंधर से आ कर आते ही हम सो गए और ग्यारह बारह बजे उठे । दूसरे कमरों के लड़के अपने
Read Moreस्कूल हम। रोजाना जाते थे और सारे टीचर जी जान से हम को पढ़ा रहे थे। विद्या प्रकाश हमारा स्ट्रैस
Read Moreलछू के ढाबे में बैठे एक लड़के ने बताया था कि किराए का कमरा हमें चाना बिल्डिंग में मिल सकता
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