लघुकथा : वही घटना
करीब दो घण्टे से बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी और घर में बहू के तानों की बरसात बराबर चालू
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Read Moreपिताजी की मृत्यु के पश्चात इकलौते बेटे_बहू बिलकुल शोकाकुल नहीं थे बल्कि वे तो परचितों ,रिश्तेदारों से प्रसन्नतापूर्वक मिल रहे
Read More“चाचा जी नमस्ते ” गोलू उर्फ़ ज्ञानप्रकाश ने पन्नालाल लाल के कार से उतरते ही नमस्ते कहता हुआ पैर छुए
Read Moreशेर है कि – काम तो सिर्फ़ काम होता है काम छोटा-बड़ा नहीं होता।। – अमन चाँदपुरी
Read Moreदिसंबर 1966 में मुझे PSV लाइसैंस मिल गिया था और मेरे साथ रोज़ रोज़ नए नए कंडक्टर आते थे। कई
Read Moreतकरीबन 15 रोज हो गए हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई, यूँ तो ज़िंदगी ऊपर से बिलकुल सहज है मगर
Read Moreएक दिन हमारे घर के सिटिंग रूम की अंगीठी में कोएले जल रहे थे और कमरा बहुत गर्म लग रहा
Read Moreपिताजी समझा रहे थे, मगर बच्चा समझ नहीं पा रहा था. वह प्रश्न पर प्रश्न करे जा रहा था. आखिर
Read Moreमैं दोपहर में नहीं सोती, क्यों कि सोने के लिए रात काफी होती है! अगर कभी मैं दिन में सो
Read Moreबहादर और लड्डा यानी बहादर का छोटा भाई हरमिंदर कभी कभी शनिवार या रविवार को आते ही रहते थे. क्यूंकि
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