कहानी

नागिन डांस – नई कहानी

“चाचा जी नमस्ते ” गोलू उर्फ़ ज्ञानप्रकाश ने पन्नालाल लाल के कार से उतरते ही नमस्ते कहता हुआ पैर छुए ।

” जीते रहो बेटा… सब ठीक है ?”पन्नालाल ने गोलू से पूछा

” जी सब ठीक है … मम्मी पापा आपका ही इन्तेजार कर रहें है , गोलू ने कार से सामान उतारते हुए कहा ।

” बाकी सभी रिस्तेदार भी आ गए हैं कि नहीं?” पन्नालाल ने गोलू से पूछा

” मामी- मामा , सुनीता मौसी  और गाँव वाले रिस्तेदार पहुँच चुके हैं। बाकी  बचे हुए शाम तक या कल सुबह तक पहुँच जायेंगे ” गोलू ने जबाब दिया ।

सुनीता मौसी का नाम सुनते ही पन्नालाल के होंठो पर एक मुस्कान आ गई और वह ख्यालो में खो गया ।

सामान उतारने के बाद गोलू और पन्नालाल घर में दाखिल हुए , गोलू ने आवाज लगा के अपने पापा से पन्नालाल के आने की खबर दी जैसे ही पन्नालाल के आने की खबर लगी सभी लोग पन्नालाल को देखने एकत्रित होने लगे । पन्नालाल अपने ही ख्यालो में गुम था ..

पन्नालाल, उम्र होगी 48 साल की देखने में स्वस्थ और ठीक ठाक शक्ल का । आज लगभग 25 साल बाद वह दिल्ली में आया है वह भी जब उसके भतीजे गोलू की शादी थी ।

पन्नालाल का बड़ा भाई संतराम दिल्ली नगर निगम में कार्यरत था और उसकी पत्नी अनीता  प्राथमिक विद्यालय में अध्यापिका । अनीता मूल रूप से आगरा की रहने वाली थी , उसकी एक बहन थी सुनीता … बेहद खूबसूरत । संतराम और अनीता का रिश्ता पहले तय हो गया था, पर अनीता की परीक्षाओं के चलते शादी एक साल बाद हुई। लेकिन इस एक साल में हुआ यह कि पन्नालाल सुनीता पर मरने लगा । वह सुनीता से मिलने के लिए किसी न किसी बहाने महीने दो महीने में आगरा अनीता के घर जाने लगा था। पन्नालाल दिन रात सुनीता के सपने देखता और सोचता की जैसे उसके भाई संतराम की शादी अनीता के साथ होने वाली है वैसे ही एक दिन सुनीता और उसकी भी होगी ।

पन्नालाल सुनीता को बेहद प्यार करने लगा था उसे लगता था की वह सुनीता के बिना जी नहीं सकता है । सुनीता  कॉलेज में पढ़ती थी और उसके ऊँचे सपने थे जबकि पन्नालाल पढ़ने में कमजोर और बारहवीं बड़ी मुश्किल से पास हुआ था ।पन्नालाल का आगे पढ़ने का कोई इरादा नहीं था पर कारो में काफी रूचि थी इसके चलते उसने एक गैराज पर नौकरी कर ली थी और कारो की मरम्मत करने लगा था । गैराज में काम करने से और पढ़ाई में कमजोर होने के कारण अनीता पन्नालाल को कम पसन्द करती थी , वह उसे एक तरह से आवारा , कम पढ़ा लिखा और नाकामयाब लड़का समझने लगी थी अत: उसका बार बार आगरा में घर आना उसे पसन्द नहीं था और न ही सुनीता से ज्यादा  मिलना जुलना ।

फिर आखिर वह दिन भी आ गया जब अनीता और संतराम की शादी होनी थी , बारात आगरा पहुंची । बारात में आगरे का मशहूर ‘ धमाका बैंड ‘ बुक किया हुआ था , बैंड का मुख्य आकर्षण था ‘ नागिन बैंड’ …एक रेहड़ी को चारो तरफ से बंद कर और रंगबिरंगी लाइट्स से सजा और  चारो कोनो में लाउडस्पीकर  बाँध दिए गए थे । नागिन बैंड पर एक व्यक्ति खड़ा था , हाथ में लाउडस्पीकर लिए और गले में बैंजो बांधे हुए फ़िल्मी गाने गा रहा था । मजे की बात यह थी की गाने वाले बन्दे में इतना’ टैलेंट ‘ था कि कभी लड़के की आवाज में गाना गाता तो कभी लड़की की आवाज में और फिर बैंजो भी खुद ही बजाता, यानि डियूट्स गानों में खुद ही मेल सिंगर की आवाज निकाल के गाता तो कभी फीमेल सिंगर की आवाज में वो अलग बात थी की न तो सही से मेल सिंगर की आवाज निकाल पा रहा था और न ही फीमेल सिंगर की पर हाँ बैंजो सही बजा रहा था ।

बारात के बच्चे – जवान तो नाच ही रहे थे बुड्ढे भी पीछे नहीं थे और  नाचनिये( पुरुष जो महिला की ड्रेस पहन के बारात में नाचते हैं) उनके साथ नाचने में मस्त थे । कूदते फांदते बारात अनीता के दरवाजे पर पहुँच गई ,बारात देखने के लिए सभी  घराती उमड़ पड़े । सुनीता भी अपनी सहेलियों के साथ बारात देखने के लिए आगे आ गई । अनीता छत से अपनी सहेलियों के साथ बारात देखने पहुँच चुकी थी ।

सुनीता लाल साडी में गजब की लग रही थी। जब पन्नालाल ने उसे देखा तो उसका अपने मन पर काबू रखना नामुमकिन हो गया था उसने सोचा कि आज हाले दिल कह ही देगा चाहे जो कुछ हो । जब यह बात पन्नालाल ने अपने एक दोस्त मंगू को बताई तो उसने सलाह दी –

” अबे ! ऐसे नहीं कह पायेगा अपने मन की बात ले दो पैग लगा फिर अपने आप हिम्मत आ जायेगी ” मंगू ने पैग पन्नालाल की तरफ बढ़ाते हुए कहा । थोडा न नुकार करने के बाद पन्नालाल चार पटियाला पैग खींच गया फिर क्या था …पन्नालाल सुपरमैन बन चुका था ।

इधर नागिन बैंड पर ‘ मेरा मन डोले मेरा तन डोले’ धुन बज चुकी थी , नागिन बैंड की नागिन धुन सुन के पन्नालाल बे काबू हो गया … बस! अब नागिन डांस करने लगा वह… दोनों हाथ जोड़ के नागिन मुद्रा बना के कभी जमीन पर लोटता तो कभी घुटनो पर बैठ झूमता ।

पन्नालाल नाचता नाचता सुनीता के पास पहुँच गया , एक पल के लिए उसने सुनीता को देखा और दोनों हाथ ऊपर कर हथेलियो को नागिन की मुद्रा बना …और…हिस्श्श्…..सुनीता के गालो को अपने होंठो से डस लिया ।

उफ़्फ़!! गज़ब … ये तो गज़ब हो गया , सब एक पल के लिए जैसे रुक सा गया हो । जो जंहा था वंही रुक गया जिसका मुंह खुला था खुला ही रह गया घराती – बराती सब जड़ । बैंड बाजे बंद सबको जैसे रिमोट से पॉज कर दिया गया हो । अचानक एक तेज आवाज के साथ सन्नाटा भंग हुआ ‘चटाक’।

ये तेज चटाक की आवाज सुनीता के तमाचे की थी जो उसने पन्नालाल के गाल पर जड़ा था , सभी को जैसे होश आ गया हो शहनाईवाला ‘ पी पी ‘ कर के फिर से शहनाई बजाने लगा और नागिन बैंड फिर चालू हो गया ।

शेष अगले भाग में ..

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?