भोग
लघुकथा भोग मिठाई की दुकान में सिर्फ आठ-नौ साल के बच्चे को ही बैठे देख मैंने पूछा है- “क्या ये
Read Moreसौजन्य भेंट “पापा, आपको जब भी कोई साहित्यकार मित्र अपनी पुस्तक भेंट करते हैं, तो वे बाकायदा आटोग्राफ देकर ही
Read Moreनौ बज चुके थे ।बड़ी सी ताला लगा दोनों निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर । कागज पलटते कब स्ट्रीट
Read Moreबधाई के बहाने “हेलो, रमेश जी बोल रहे हैं न ?”“हाँ जी सर नमस्कार। रमेश ही बोल रहा हूँ।”“नमस्कार रमेश
Read Moreकुत्ते से सावधान मुझे मंत्रीजी ने कहा था कि “साहब लोगों से ऑफिस में अच्छे से बातचीत नहीं हो पाती
Read Moreसर! दो दिन की छुट्टी चाहिये। गाँव में बाबू जी बहुत बीमार और माई के जाने के बाद अकेले हो
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