“लोहे की सड़सी”
जय हो झिनकू भैया की। भौजी की अँगुली चाय की खौलती तपेली से सट गई, तो ज़ोर से झनझना गई
Read Moreजय हो झिनकू भैया की। भौजी की अँगुली चाय की खौलती तपेली से सट गई, तो ज़ोर से झनझना गई
Read Moreबात शायद 1952 53 की होगी जब फिल्म आवारा आई थी। उस में राजकपूर ने जो ऊंची पैंट पाई हुई
Read Moreनेता अवनी प्रसाद प्रचंड मतों से लोकसभा के लिए चुने गए थे । मंत्री बना दिये गए । जीत की
Read Moreज्यों ज्यों लघुकथा सम्मेलन का दिन करीब आता जा रहा है , त्यों त्यों एक नई लघुकथा जन्म ले रही
Read Moreएम्बुलेंस सायरन की तेज आवाज के साथ एक मोड़ लेकर मुख्य सड़क पर दाखिल हुई । एम्बुलेंस में वेंटिलेटर पर
Read Moreरीना को नौकरी करते पन्द्रह साल हो गये थे, न कोई तरक्की मिली ना ही तनखाह बढ़ी| आखिर उसने मन
Read Moreपांडुरंग की शहर में सड़क के किनारे ही एक छोटी सी गन्ने का रस बेचने की दुकान थी । दो
Read More