कुसूरवार (कड़ी १)
प्रज्ञा के मन मष्तिष्क में एक ही बात बार बार आ रही थी , कि वह कुसूरवार हैं । शायद
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Read Moreहमेशा की तरह आज भी सौतन बनी घड़ी ने सनम के आगोश में मुझे पाकर मुँह चिढ़ाते हुए दस्तक दी।
Read Moreमोहन के घर में एक काली गाय थी, ये गाय उसकी नानी ने मोहन की माँ को दी थी. कहा
Read Moreचिंकी आज खुश नहीं है जरा भी नहीं ..वरना सुबह के आठ बजे तक वह बिस्तर पर कभी नहीं टिकती
Read Moreसच्ची कहानी सात फेरों के बाद सात घंटे मंे हुई विधवा इंसान की जोड़ी तो उपर से बनकर आती है
Read Moreयह कहानी है राबिया अम्मा की मेरे गांव में मेरी पड़ोसी थी। तब मैं काफी छोटी थी। बात की गहराई
Read Moreजैसे-2 उपन्यास अपने चरम पर पहुंचता जा रहा था दिव्या लेखक के भावों में डूब उतरा रही थी।वह उपन्यास के
Read Moreमृणाल जल्दी- जल्दी काम निबटा रही थी। बेटी के खराब स्वास्थ्य को देखकर उसका मन बहुत अशांत था। अवनि की
Read Moreविजयपुर किसी जन्नत से कम नहीं था. पहाड़ पर बसा एक बेहद खुबसूरत गाँव. उसके ऊपर कुछ था तो केवल
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