प्रतीत है
प्राबल्य प्रेरणा प्रभा .. प्रजायी है प्रतीत है , तृषा ‘किशन’ त्रैकाल की .. प्रिया तू प्रेय प्रीत है
Read Moreपुरजोर से करे रुदन वो बन ठूँठ फैला रीती बाँहें कहे पुकार – बँद करो अत्याचार ! ताकि जन्मे… इस
Read Moreमौन बर्फ़ से सर्द, हो चुके हैं रिश्ते पिघलाए, सहलाए कौन शब्द हो चुके हैं अब बौने ” समझदार” रह
Read Moreमन दा हनेरा दूर ना होवे भांवें लखां सूरज चमकण मन दा हनेरा दूर करण लई प्रेम दा इक्को दीवा
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