मेरे मन में झाँका ही कब
मेरे मन में झाँका ही कब तुमने मुझको समझा ही कब कहते हो मैं गैर नही हूँ तुमने अपना माना
Read Moreमेरे मन में झाँका ही कब तुमने मुझको समझा ही कब कहते हो मैं गैर नही हूँ तुमने अपना माना
Read Moreयह कौन मेरी राह से काँटे हटा गया कदमों के तले कौन भला दिल बिछा गया। ये किसकी सदा है
Read Moreआजादी का पर्व है, .. झूम रहा है देश ! इसका होना चाहिए, सबको गर्व रमेश ! ! आजादी है
Read Moreशिल्प विधान- कुल मात्रा =30 (10,8,12) 10 और 8 पर अतिरिक्त तुकान्त “छंद चवपैया ” (मात्रिक ) जय जय शिवशंकर,
Read Moreजिंदगी के घाव जब दर्द देते हैं तो मरहमपट्टी भी चुभने लगती है चोटों के निशान जिंदगी के भयावह
Read Moreतुम रूलाते बहुत हो !! अब भी मेरी नजरो मे,आते बहुत हो । हे श्याम हमको,तुम रूलाते बहुत हो।। धूप
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