“मुक्तक”
शीर्षक-मुक्तक, उपवन , बाग़, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन। पथिक भी अब बाग में रुकता नहीं छांव उपवन में कहीं दिखता
Read Moreआज तुमसे बात करके ये महसूस हमें हुआ पास होकर भी हमें दूरी का अहेसास हुआ हुआ हमें महसूस की
Read Moreकल रात की बासी रोटी को , मैं आज मजे से खा रहा हूँ , कल एक घर बना के
Read Moreमन मह छाए रहता नितप्रति बहुरि करूँगी उससे विनती कह सुन लूँगी उससे बाता है सखि साजन, नहि सखि दाता॥
Read Moreआज मजदूर दिवस पर सभी मजदूर भाई बहन को सादर प्रणाम, एवं हार्दिक बधाई मजदूरों की मज़बूरी को, समझो भी
Read Moreमेरे इन बालअश्रुओं में मेरे नन्हे-श्रम-स्वेद-बिन्दु भी मिले हुए हैं । मेरा बचपन नहीं जानता मेरे हाथों को ये काम
Read Moreकोई है किसी के मन की रानी, कोई है किसी के महलों की रानी, कोई है किसी के अधरों की
Read Moreचिंतन यू होता नहीं, बिन चिंता की आह बैठ शिला पर सोचती, कितनी आहत राह निर्झरणी बस में नहीं, कमल
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