कविता : तुम्हारी निशानी
और क्या है मेरे पास बस तुम्हारी चंद यादें और. मेरी थोडी ख्वाहिशें मेरे डायरी मे तो कोई सुखे गुलाब
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Read Moreहम सीखना चाहें तो अपनी परछाई भी हमें बहुत कुछ सिखाती है, कभी आगे कभी पीछे हो जाती है, कभी
Read Moreतुहिन* के तीर बिफर, धरा पर जाते बिखर; भूमि तल जाता निखर, प्राण मन होते भास्वर ! पुष्प वत आते
Read Moreतरंगों में फिरा सिहरा, तैरता जो रहा विहरा; विश्व में पैठ कर गहरा, पार आ देता वह पहरा ! परस्पर
Read Moreयह नदियों का मुल्क है, पानी भी भरपूर है । बोतल मे बिकता है, पन्द्रह रूपया शुल्क है। यह शिक्षकों का
Read Moreबेटियाँ पीहर आती है अपनी जड़ों को सींचने के लिए तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ वे ढूँढने आती हैं
Read Moreजब तक युवा मक्कारी आलस के पग चूमेगा सच कहता हूँ तब तक भारत औरों के आगे झुकेगा नहीं खौला
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