विचारात्मक बाल कथा : मजदूर दिवस
”गुड़िया, ब्रेड पुडिंग जल्दी खाओ, गरम हो जाएगी,” ”ममी, पहले ब्रजेश भैया और रमेश भैया को दो, फिर खाऊंगी.” ”अब
Read More”गुड़िया, ब्रेड पुडिंग जल्दी खाओ, गरम हो जाएगी,” ”ममी, पहले ब्रजेश भैया और रमेश भैया को दो, फिर खाऊंगी.” ”अब
Read Moreएक सेठ का नौकर मूढ़-सा, शेखचिल्ली था उसका नाम, चलते-फिरते, जागते-ऊंघते, सपने लेना उसका काम. एक बार बोला मालिक से,
Read Moreमोहन एक नेक लड़का था, पढ़ने-लिखने में होशियार, सब करते तारीफ, बड़े भी, करते उसको बेहद प्यार. उसके सब साथी
Read Moreछोटी-सी मुर्गी थी लाल, बतख सफेद थी खूब कमाल, चितकबरी बिल्ली शैतान, काला कुत्ता बड़ा बेईमान. चारों साथ-साथ रहते थे,
Read Moreछोटू मोटू जुड़वां भाई, आपस में करते न लड़ाई, छोटू एक इंच छोटा था, मोटू तीस ग्राम था भारी. दोनों
Read Moreछोटा-सा खरगोश निताशा, रहता था छोटे बिल में, अपनी छोटी पूंछ देखकर, बड़ा दुखी होता दिल में. एक लोमड़ी उसने
Read Moreनन्ही माशा रोज सवेरे, ठीक समय पर शाला जाती, बड़े ध्यान से पाठ याद कर, सीधे घर को आया करती.
Read Moreगुटपुट खरगोश के दफ्तर में आज छुट्टी थी। वह घर में लेटा-लेटा बोर हो रहा था सो उसका मन कुछ
Read Moreउस दिन देवम की कक्षा में टीचर पढ़ा रहीं थीं, कोई गम्भीर विषय चल रहा था। लेकिन पीछे दो छात्र
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