क्षणिका
जहाँ से चले थे वहीं लौट आये हस्ताक्षर बनाना सीख कर फिर अंगूठे पर लौट आये
Read More-1-न उँगलियों में हलचल /न था कोई निशान /लगता है.. आज फिर डस गया /विश्वास के किसी को /छुपा हुआ…आस्तीन
Read Moreहम भी न आज होते अगर हम दो हमारे दो का नारा हमारे माता पिता ने भी लगाया होता न
Read Moreपानी की बून्द-बून्द को तरस रही दिल्ली,मुख्यमंत्री हो गए हैं खिसियानी बिल्ली।वे कहते हैं नहा नहीं सकता एक बाल्टी से,इसलिए
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