संध्या बेला: एक सुरीला नग़मा
संध्या की बेला है, या है सुरीला नग़मा, या कि लगा हुआ है सजीले रंगों का मजमा, सुनहरी-रुपहली, लाल-पीले रंगों
Read Moreसंध्या की बेला है, या है सुरीला नग़मा, या कि लगा हुआ है सजीले रंगों का मजमा, सुनहरी-रुपहली, लाल-पीले रंगों
Read Moreप्रेम दीपक जलाए रखिए, प्रेम की रोशनी पाते रहिए, लुटाते रहिए. लीला तिवानी “कहां जा रही हो?” सूरज-किरण से
Read Moreअजब नज़ारा/ गरीब को… न वक्त पे रोटी/ अमीर को… न रोटी को वक्त अब बतलाओ … कौन बेचारा?
Read Moreइन्हें फूल (मूर्ख) न कहो, बहुत बुद्धिमान हैं ये, महकता-चहकता स्वाभिमान हैं ये, इनकी भाव-प्रवणता का जवाब नहीं, आनंद के
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Read More1. मरजीना *** मन का सागर दिन-ब-दिन और गहरा होता जा रहा दिल की सीपियों में क़ैद मरजीना बाहर आने
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