रोटी पर क्षणिका
अजब नज़ारा/ गरीब को… न वक्त पे रोटी/ अमीर को… न रोटी को वक्त अब बतलाओ … कौन बेचारा?
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Read Moreइन्हें फूल (मूर्ख) न कहो, बहुत बुद्धिमान हैं ये, महकता-चहकता स्वाभिमान हैं ये, इनकी भाव-प्रवणता का जवाब नहीं, आनंद के
Read Moreसंध्या की बेला है, या है सुरीला नग़मा, या कि लगा हुआ है सजीले रंगों का मजमा, सुनहरी-रुपहली, लाल-पीले रंगों
Read More1. मरजीना *** मन का सागर दिन-ब-दिन और गहरा होता जा रहा दिल की सीपियों में क़ैद मरजीना बाहर आने
Read More1. समय समय को आज तक कौन बांध पाया है? जिसने एकबारगी समय को समझ लिया, समय उसका साया है,
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