हाइकु
दुष्टों की वाणीजहर सी अप्रियअशांत मन साँप से दूरीसावधानी जरूरीअनर्थ न हो। चूहा चरित्रबुराई ही बुराईखल प्रकृति — निर्मल कुमार
Read Moreजो देखोगे ऐसे,बढ़ती धड़कन है,गुजरेंगे फिर कैसे? नज़रें तो मिलने देमेंरी आँखों मेंसपने तो पलने दे। सपनो का क्या बोलोजागी
Read Moreचंद हाइकु 1. चुप रहना कुछ मत कहना कर दिखाना। ———– 2. अकेला तू ही बदलेगा दुनिया शुरु तो कर।
Read Moreकितना अकेला है ऊपर वाला;जगत जिसका है इतना अलवेला! बिना बात का रचा खेला;लग गया यहाँ मेला! ना कुछ लगाया
Read Moreहे राम, मैं हैरान;देखकर तेरा मकान! पाकर मुक़ाम,झाँक कर मचान;चलते तीर कमान,सब लहूलुहान! बिना इत्मीनान,ना कुछ सरोकार;ना काम ना धाम,बिन
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