हिस्सों का हिसाब
सगे की छाती रौंद कर, मकान खड़ा किया,मिट्टी की दीवारों में अपनों का शोर दबा दिया। वो समझा जीत गया,
Read Moreसगे की छाती रौंद कर, मकान खड़ा किया,मिट्टी की दीवारों में अपनों का शोर दबा दिया। वो समझा जीत गया,
Read Moreअच्छा! तुम ही हो!लेती रहती हो ,औरों से मेरी ख़बर। अच्छा ! तुम ही हो!पूछती रहती होगैरों से मेरा घर
Read Moreकल देर रात भागा-भागा यमराज मेरे पास आया और मुझे झिंझोड़ते हुए कहने लगा, प्रभु जी! नींद से बाहर निकलिए
Read Moreजब बहा पहलगाम में निर्दोषों का खून,उठा तब भारत में प्रतिशोध का जुनून,आँखों में ज्वाला, सीने में गुरूर,यहीं से शुरू
Read Moreहर दर्द, हर जश्न, हर आह, हर फिक्र,अब पोस्ट की शक्ल में, दुनिया को नज़र आता है।जो दिल की बात
Read Moreहर चेहरा अब सवालों में घिरा,हर कदम पर शंका का साया,ईमानदारी की चादर इतनी पतली,कि आर-पार दिख जाए दुनिया का
Read Moreजब हर दर्द से टकराकर,मन की दीवारें दरकने लगें,और उम्मीदों की चादर,चुपचाप सरकने लगे। जब हँसी की परतें,ग़म के नीचे
Read More500 की शर्ट में, संजीदा मुस्कान,5000 की साड़ी से बुनता सम्मान।हाथों में उसके, बिन शब्दों की बातें,हर तह में छुपा,
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