ग़ज़ल
आज लगता ही नहीं मन आँधियो धीरे चलो।हो गयी है देख अनबन आँधियो धीरे चलो।। सुख मिला भी तो सुनो
Read Moreकिसने बेची थी, ये हवाओं की खुशबू,किसने कांपती जड़ों में, जहर घोला था,किसने गिरवी रखी थी, मिट्टी की सुगंध,किसने अपने
Read Moreसारी दुनिया को धुंधला करके,जिसे तुम फोकस करोगे,वो एक दिन तुम्हारे ही लम्हों को,अलग फ्रेम में कैद कर देगा। जो
Read Moreवो जो साड़ी के किनारे में,सिहरती हैं चुप्पी की नर्म लहरें,वो जो पायलों में खनकती हैं,अधूरे स्वप्नों की डरी हुई
Read Moreरजत के धागों से बुनीसमय की श्वेत चादर,प्रशांत नभ की मौन गाथा,अतीत की बिखरी मुस्कान। सांसों की तूलिका से,अमिट रेखाएं
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