ग़ज़ल
नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जोनापने को कह रहे हमसे वो दूरियाँ आकाश की आज हम
Read Moreतस्वीर के रंगों की तरह,यह धरती रंगी अजूबा है।चित्रकार है एक खुदा ही उस के सिवा न दूजा है।हिंदी मुस्लिम
Read Moreजीवन के पन्नेरोशनी से परिपूर्ण हैं,हर शब्द अपने अर्थ कोसमाहित करता है,चमकता हैसंशय पूर्ण रास्तों मेंमशाल बनकर जलता हैतपता है,सोना
Read Moreचल रही मदमस्त पुरवाई,मौसम ने ली है अंगड़ाई,खेतों में फसलें लहलहाई,खुशियां यहां-वहां बिखराई । फूल खिले रंग-बिरंगे प्यारे,भंवरे गुनगुनगुन करते
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