पद्य साहित्य

कविता

युद्ध से युद्धविराम तक

रक्त से लथपथ इतिहास,धधकते ग़ुस्से की ज्वाला,सरहदों पर टकराती हैं चीखें,जिन्हें सुनता कौन भला? वो शहादतें, वो बारूदी हवाएँ,टूटते काफिले,

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कविता

यमलोक वाचस्पति सम्मान

अभी-अभी मित्र यमराज घर आ गये,यमलोक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयऔर सर्व शोध संस्थानबनाने का प्रस्ताव लेकर अड़ गये।मैं झुंझलाया- ये कौन सा

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