बाल कथा – डर के आगे जीत
“दादी माँ; माँ कहती हैं हमलोगों को बचपन में हमारी नानी माँ या दादी माँ कहानी सुनाया करती थी ।
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Read More“माँ मैं कल से स्कूल नहीं जाऊँगा।” स्कूल से आते ही मानू बस्ता रखते हुए कहता है। “क्यों?” माँ ने
Read Moreआज़ मुदित के बैग मेंं ममा नाश्ते का टिफ़िन रखना ही भूल गईं थी और मुदित नें भी ध्यान नहीँ दिया. जब
Read Moreएक बार ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती हंस पर सवार होकर आकाश मार्ग से होते हुए श्रीहरि विष्णुजी से मिलने विष्णुलोक जा
Read Moreगोलू स्कूल से घर लौटते ही दादाजी के कमरे की ओर दौड़ा। दादाजी… दादाजी… आपसे एक बहुत ही जरूरी सवाल
Read More“बच्चे मन के सच्चे होते हैं, वह यदि किसी के लिए कुछ करते हैं तो मन से करते हैं इसलिए
Read More‘माँ देखो न मेरे दाँत कितने चमकीले हैं … हैं न?’ ‘हाँ पर तुम्हे इनका ध्यान रखना चाहिए… नही तो
Read Moreआज पार्क में बड़ी ही चहल पहल है। रविवार का दिन जो है। अपना होमवर्क करके सभी बच्चे खेलने आएं
Read Moreसर्दी के दिनों में अंगूरा तालाब के किनारे अपनी जेब में चने भरे बैठा था। एक चना निकालता ,फिर बड़ी
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