बालकविता “शिव-शंकर को प्यारी बेल”
जो शिव-शंकर को भाती है बेल वही तो कहलाती है तापमान जब बढ़ता जाता पारा ऊपर चढ़ता जाता अनल भास्कर
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Read Moreरात हुई हम चले थे सोने। और मीठे सपनों में खोने। तभी कहीं से मच्छर आया। उसने हमको गीत सुनाया।
Read Moreआसमान में कितने तारे? गिन गिन भैया हम तो हारे। बादल में यूँ छुप जाते हैं। जैसे हमसे शरमाते हैं।
Read Moreऊँट को देखा , बैठे खामोश। जाकर बोला मनु खरगोश।। दादा जी ! जरा पानी पी ले। कर लो अपने
Read Moreहवा भर कर गुब्बारे में। खेल रहा था मैं चौबारे में।। हाथ में था , लगता प्यारा। मस्त बढ़िया निक
Read Moreसूरज ने है रूप दिखाया। गर्मी ने तन-मन झुलसाया।। धरती जलती तापमान से। आग बरसती आसमान से।। लेकिन है भगवान
Read Moreमैं एक पेड़ हूं. मगर, आत्मनिर्भर पेड़ हूं. अपना भोजन स्वयं बनाता हूं. क्या आप जानना चाहते हो कि यह
Read Moreबाबा कैसे होते गाँव। गाँव देखने का है चाव।। घर कुछ छोटे बड़े गाँव में, बच्चे खेलें सघन छाँव में,
Read Moreगोलू स्कूल से घर लौटते ही दादाजी के कमरे की ओर दौड़ा। दादाजी… दादाजी… आपसे एक बहुत ही जरूरी सवाल
Read Moreजिसके मन में हो हौसला, डरे न वह देखकर फासला। चाहे जितनी दूर हो मंजिल, कर ही लेता है वह
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