पुरस्कारों का सौदा: साहित्य के बाज़ार में बिकती संवेदनाएं
साहित्य आज साधना नहीं, सौदेबाज़ी का बाज़ार बनता जा रहा है। नकली संस्थाएं ₹1000-₹2500 लेकर ‘राष्ट्रीय’ और ‘अंतरराष्ट्रीय’ पुरस्कार बांट
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Read Moreमुंशी प्रेमचंद की महानता और उनकी लेखनी की विशेषता को समझने के लिए उनकी रचनाएं दिल से पढ़ना होंगी, तब
Read Moreराष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसरण में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पूर्व प्राथमिक से पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा को शिक्षा का
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