स्वादिष्ट भोजन में कंकड़ की तरह है कर्नाटक का हिंदी विरोध
छात्र जीवन में अनायास ही एक बार दक्षिण भारत की यात्रा का संयोग बन गया। तब तामिलनाडु में हिंदी विरोध
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Read Moreदेश में मातृभाषा, राष्ट्रभाषा और राज भाषा का सवाल आजादी के बाद से ही उठता रहा है। मातृभाषा को लेकर
Read Moreइक्कीसवीं सदी ‘विश्व समाज’ की संकल्पना को साकार करने की सदी है. आज सारा जगत एक ही सूत्र में बन्ध
Read Moreहर व्यक्ति व रचनाकार में गुण व दोष स्वाभाविक रूप से होते हैं और जहाँ एक ओर दोष जानना आवश्यक
Read Moreभाषा का प्रश्न समग्र है। भाषा अनुभूति को अभिव्यक्त करने का माध्यम भर नहीं है। भाषा सभ्यता को संस्कारित करने
Read Moreभारत कथा साहित्य का जनक देश है। भारत रचित कथायें आज विश्व के दूर दराज़ देशों की सभी भाषाओं और
Read Moreसंस्कृत विश्व की सब से प्राचीन भाषा है तथा समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। संस्कृत का शाब्दिक अर्थ है
Read Moreदेश में भाषा का अनुत्तरित सवाल पिछले 70 सालों से उत्तर की प्रतीक्षा में अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है
Read Moreआज मैं कानपुर के तुलसी उपवन में हूं। अब से 36 साल पहले इस उपवन की स्थापना पं. ब्रदीनारायण तिवारी
Read Moreचीन हमें आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर ही मात देने की तैयारी नहीं कर रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से
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