प्रतिमा और प्रतिभा गढ़नेवाले कुम्हार
शुभ विजयादशमी! प्रतिमा गढ़नेवाले ‘कुम्हार’ को भी शुभो, किन्तु ‘अहं’ को जलाकर, बार-बार 3 पुरुषों (रावण, कुम्भकर्ण, मेघनाद) को ही
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Read Moreक्या ‘वकील’ उस्तरे होते हैं, जिनकी एक धार ‘वादी’ को मुड़ने के लिए होती है, तो दूसरी धार ‘प्रतिवादी’ को
Read Moreबुजुर्ग दम्पति का संवाद पति-लखन की माँ !अब इस उमर में हमसे तो कुछ होने वाला नहीं है।क्यों न हम
Read Moreप्रेम से न किसी का वास्ता पैसा ही सबसे बड़ा रिश्ता हार जाता है सच्चा रिश्ता अहम जिंदगी का फरिश्ता
Read Moreराम के राज्याभिषेक को हो रही थी तैयारी, हर और खुशियों का शोर। मंथरा को ये सब खटका उसने अपने
Read Moreबचपन में बायोस्कोप देखने का मजा ही कुछ और था! रहते आप कहीं भी हों, बायोस्कोप आपको आगरा का ताज
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