मदन मोहन सक्सेना

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल (अजब गजब सँसार )

रिश्तें नातें प्यार बफ़ा से सबको अब इन्कार हुआ बंगला ,गाड़ी ,बैंक तिजोरी इनसे सबको प्यार हुआ जिनकी ज़िम्मेदारी घर

Read More
गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल(दूर रह कर हमेशा हुए फासले )

ग़ज़ल(दूर रह कर हमेशा हुए फासले ) दूर रह कर हमेशा हुए फासले ,चाहें रिश्तें कितने क़रीबी क्यों ना हों

Read More
गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : मुसीबत यार अच्छी है

मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को

Read More
गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : ज़माने की हकीकत

  दुनिया में जिधर देखो हजारों रास्ते दिखते मंजिल जिनसे मिल जाए वे रास्ते नहीं मिलते किस को गैर कह

Read More