मदन मोहन सक्सेना

गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल(हिम्मत साथ नहीं देती है)

गज़ल(हिम्मत साथ नहीं देती है) किसको अपना दर्द बतायें कौन सुनेगा अपनी बात सुनने वाले व्याकुल हैं अब अपना राग

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गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल (सपने खूब मचलते देखे)

ग़ज़ल (सपने खूब मचलते देखे) सपनीली दुनियाँ मेँ यारो सपने खूब मचलते देखे रंग बदलती दूनियाँ देखी, खुद को रंग

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