ग़ज़ल (माँ का एक सा चेहरा)

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : माँ का एक सा चेहरा

बदलते वक्त में मुझको दिखे बदले हुए चेहरे माँ का एक सा चेहरा, मेरे मन में पसर जाता नहीं देखा

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