कविता

विनायक वंदना

गणेश चतुर्थी की शुभ कामनाये आप सबको

कर जोड़े विनती करूँ नत मस्तक करूं वंदन
धूप दीप नैवेध और करूँ आरती वंदन
हे गननायक गजाननाय गौरी के प्रिय तनय
कृपा करो कृपा निधान पिता शंकर नंदन

शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

2 thoughts on “विनायक वंदना

  • विजय कुमार सिंघल

    जय श्री गणेश !
    जेहि सुमिरत सिधि होइ, गणनायक करिबर बदन.
    करहु अनुग्रह सोइ, बुद्धि राशि शुभ गुण सदन.

    • शान्ति पुरोहित

      आभार विजय कुमार भाई जी

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