कविता

मुक्तक

अरुण की लालिमा भोर का स्वागत
चाँद छिप जाता सूरज का स्वागत
फूल खिल जाते कली खिल जाती
किरणें रश्मि रथ साथ है आगत

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ