राजनीति

एक अनार सौ बीमार

कुछ लोगों को हमेशा शिकायत करते रहने की आदत बन चुकी है। उसी आदत के कारण वह सभी जगह मीडिया पर अपने उतावलेपन औरराजनैतिक सूझबूझका परिचय भी देते रहते हैं। हर बात में सरकार को कोसते रहते हैं। मोदी जी ने यह नहीं किया, वह नहीं किया’, वह सेकूलर बन गये हैं, विदेशों में सैर करते फिरते हैं’, ‘काला धन वापिस लाकर अभी तक ग़रीबों में बांटा क्यों नहीं गया?’, ‘गऊ हत्या बन्द क्यों नहीं करी गयीआदि। अगर यह शिकायतें AAP वाले करें तो हैरानी की कोई बात नहीं क्योंकि उन्हें और कुछ करना आता ही नहीं। मगर जब वह लोग करते हैं जो आज से 6-7 महीने पहले मोदीसमर्थक बनने का दावा करते थे तो उन की सूझ बूझ और उतावलेपन पर हैरानी होती है
 
निराशा का वातावरण
उन उतावले मोदी समर्थकों को इतना पता होना चाहिये कि अगले पाँच वर्ष में अगर नरेन्द्र मोदी देश का कुछ भी  चमत्कारीभला ना भी करें, और जितना बुरा आज तक हो चुका है उसे आगे फैलने से ही रोक सकें तो वही उन की बहुत बडी कामयाबी हो गी। हमारे हर तन्त्र में गद्दार, भ्रष्ट और स्वार्थी लोग जम चुके हैं। उन को उखाड कर इमानदार लोगों को बैठाना है। उन को अपनीअपनी जिम्मेदारी सम्भालने और समझने के लिये भी वक्त देना होगा।
क्या हम मनमोहन सिहं और उन की किचनसरकार को भूल चुके हैं जिस ने पिछले दस वर्षों में देश को अमेरिका का गुलाम ही नहीं, सोनिया परिवार का ही गुलाम बना दिया था। जिनके काल में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था। जो अपने स्वाभिमान को ताक पर रख कर कहते थे कि मैं मजबूर था”। जिन के मन्त्रीमण्डल के आदेश को ए मूर्ख छोकरे ने टी वी पर फाड कर रद्दी की टोकरी में फैंक दिया था। जिनके शासन में पाकिस्तानी हमारे देश के जवानों के सिर काट कर ले गये थे और सरकार ने सेनाध्यक्ष को वर्दी पहना कर उसकी विधवा को सांत्वना देने के लिये भेज दिया था – बस। वह सरकार जो नकसलियों के खिलाफ बल प्रयोग करने में हिचकती थी। जिस सरकार का प्रधानमन्त्री किसी के साथ भी सोनियाराहुल के आदेशानुसार कोई भी समझोता कर सकता था जो मालकिन और छोटे मालिक को पसन्द हो। जिन्हें अपनी इज्जत का कोई ख्याल नहीं था वह देश की इज्जत क्या खाक बचायेंगे।
 
सकारात्मक सोच
हमारे देश के चारों तरफ छोटे छोटे देश भी मनमोहन सरकार ने भारत के दुशमन बना दिये थे जिन्हें सम्भालने का काम नरेन्द्र मोदी ने अपना पद सम्भालते ही कामयाबी के साथ करना शुरु कर दिया है। देश के आर्थिक और तकनीकी विकास केलिये बाहर से साधन जुटाने मे सफ़लता हासिल करी है। दिशाहीन मन्त्रालयों को दिशा निर्देश और लक्ष्य दिये हैं जिनकी रिपोर्ट बराबर मांगी जा रही है। राज्यों से परिवारवादी सरकारों को उखाड फैंका है और यह काम अभी दो साल तक और चलेगा। राज्यसभा में मोदी जी के पास बहुमत नहीं है। विपक्षी लोग रिशतेदारियां बनाकर, एकजुट होकर सरकार के लिए आये दिन अडचने खडी कर सकते हैं, कर रहे हैं, और करते रहेंगे। कई विपक्षी राज्य सरकारें मोदी जी के साथ नहीं हैं। वह तभी बदलेंगी जब वहां इलेक्शन होंगे। वह मोदी जी की नीतियों को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे। कुछ बातों के लिये कानूनों और शायद संविधान में भी संशोधन करने पडेंगे। इन सब कामों में समय लगेगा।
राष्ट्रनिर्माण की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं होती, नागरिकों की भी होती है। सरकार तो सिर्फ दिशानिर्देश देती है। क्या  ने कभी अपने आप से पूछा कि पिछले 6-7 महीनों में हम ने कौन कौन से सकारात्मक काम निजी तौर पर करे हैंक्या पुरानी खराब आदतों को छोड कर अच्छी नयी बातें अपने रोज़ मर्रा के जीवन में अपनाई हैं? क्या हम ने स्वच्छता, स्वदेशी, राष्ट्र भाषा, समय की पाबन्दी, ट्रेफ़िक नियमों का पालन, कामकाज में इमानदारी को अपनाया है? क्या अपने कार्य क्षेत्र में जहां तक हमारा अधिकार है, वहां लागू किया है? क्या अपने उच्च अधिकारी को उन बातों में सहयोग दिया है? अधिकांश लोग अपने मन में जानते हैं कि उन्होंने वैसा कुछ भी नहीं किया।
हमारी खुशनसीबी
काँग्रेस के मनहूस ज़माने के उलट आज हमारी खुशनसीबी है कि वर्षों के बाद हमारे पास ऐसा इमानदार, कर्मठ, देशसेवक प्रधानमन्त्री है जिस का निजी स्वार्थ कुछ भी नहीं है। जो दिन में 18 घन्टे काम करता है, देश के प्रति समर्पित है, देश कीमिट्टी में पढा और बडा हुआ है। भारतीयसंस्कृति से जुडा हुआ है। जो दिखावे की गरीबी नहीं करता, जिस को कोई व्यसन नहीं है। जिस के परिवार का कोई व्यकति सरकारी तन्त्र में झांक भी नहीं सकता। जिस का दिमाग़ 16 वीं सदी का नहीं बल्किभविष्य की 21 वीं सदी की सोच रखता है।
उतावले मोदी समर्थकों ने ऐक वोट मोदी जी को दे कर जोअहसानकिया है उस के ऐवज़ में मोदी जी कोई जादुईचमत्कार नहीं कर सकते। अगर उन्हें अपने किये पर अफसोस हो रहा है तो फिर से सोनिया, मनमोहन, मायावती, मुलायम या केजरीवाल में से किसी को भी बुला लें। मगर याद रहे कि मोदी सरकार से अच्छी देश को समर्पित सरकार भविष्य में दोबारा नहीं आयेगी।
      
       हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है।
              बडी मुद्दत से होता है चमन में दीदावर पैदा।
थोडा संयम और धैर्य रखोअपनी और देश की किस्मत को लात मत मारो। सरकार को हर वक्त कोसते रहने से कोई देश प्रगति नहीं कर सकता। प्रगति सरकार के साथ सहयोग करने से होती है।
अगर आप इन विचारों से सहमत हैं तो केवल लाईक करने यासही लिखा हैकहने के बजाये इसे शेयर करें और फैलायें। अगर असहमत हैं तो अपने सुझाव और कारण अवश्य लिखें ताकि मुझे भी अपनी सोच को सुधारने का अवसर मिले। 
चांद शर्मा

चाँद के. शर्मा

Chand K Sharma left his post graduation in 1963 to join Indian Army and served all over India. He has varied interests in literature, history, and performing arts and still regards himself a learner. He has been sharing his knowledge and experience in varied subjects with others as a free lance writer in English and Hindi. At present he is settled at Delhi and has been a visitor to US.

2 thoughts on “एक अनार सौ बीमार

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लेख बहुत अच्छा लगा , दरअसल लोग इस तरह चाहते हैं कि सुबह उठते ही सब कुछ बदल जाए . ऐसा हो नहीं सकता . एक मकान भी बनाना शुरू करें तो उस को भी साल शी महीने लग जाते हैं . किसी घर का मुखिया कमज़ोर हो तो वोह घर बिखर जाता है . आज एक सख्त इमानदार और मिहनती नेता देश को मिला है . देश में बहुत तबदीली आएगी . देश के लोगों की सोच में तबदीली आ रही है . कुछ वक्त लगेगा लेकिन देश बहुत उन्ती करेगा .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार लेख. आपकी बातें सवा सोलहो आने सच और दमदार हैं. साधुवाद !

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