कविता

‘मोदी सूट’ की सच्ची कहानी

स्वर्ण मुकुट में हीरे-मोती, दलित बहिन जी को भाते।
आजम खान मुलायम खातिर लन्दन से बग्घी लाते।।
सुम्मी रेड्डी जा तिरुपति में सोना अतुल चढ़ाता है।
लालू के ‘दामाद- तिलक’ पर खर्च करोड़ों आता है।।
पञ्च सितारा होटल में आफिस थरूर का चलता था।
ए. राजा के कमरे में सोने का दीपक जलता था।।
दत्त तिवारी नारायण जी तो खर्चीले होते थे।
‘महामना सुखराम’ नोट के बिस्तर ऊपर सोते थे।
औ’ विशाल आनन्द भवन की दिनचर्या बतलाती थी।।
नेहरू जी की टोपी तक पेरिस से धुलकर आती थी।।
लेकिन एक शख्स है जो चौबीसों घण्टे काम करे।
राष्ट्र जागरण के प्रयाण में तनिक नहीं विश्राम करे।।
ना तो वो खाने देता है, और नहीं खुद खाता है।
अपना जन्म दिवस भी जाके सेना बीच मनाता है।।
गंगा का बेटा है तन से,मन में पीर परायी है।
चाय बेचकर मेहनत करके अपनी मंजिल पायी है।।
किन्तु मीडिया को गरीब का जीना नहीं सुहा पाया।
एक सूट जो साधारण था,लाखों का जा बतलाया।।
मगर देश की जनता ने सम्पूर्ण सुफल फल ले डाले।
उसी सूट की सच्चाई पर रुपै करोड़ों दे डाले।।
इसीलिए अब हम कहते हैं, ले के हाथ रहेंगे जी।
तब भी उसके साथ खडे थे, अब भी साथ रहेंगे जी।। _

(डॉ. कमलेश चन्द्र पाण्डेय से साभार)

2 thoughts on “‘मोदी सूट’ की सच्ची कहानी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर कविता ! मोदी जी की सफलता से उन सब लोगों को मिर्चें लग रही हैं जो अब तक देश को लूटते रहे हैं.

  • जवाहर लाल सिंह

    achchhee aur sachchee kawita!

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