राजनीति

मुखौटे बदलती देश की राजनीति और पार्टियां

महाराष्ट्र में जिस तरह से भीषण गर्मी पड़ रही है, उसी प्रकार राजनीति में भी गरम मिजाज देखने को मिल रहा है। akbaruddin_owaisi_uddhav_8415एक तरफ बांद्रा उप चुनाव को लेकर हुए वोटिंग में कभी शिवसेना आगे निकलती है तो कांग्रेस के पूर्व मंत्री और बांद्रा उपचुनाव में अपनी दावेदारी पेश करते हुए नारायण राणे का गरम और ठंड मिजाज देखने को मिल रहा है। वंही इस चुनाव से थोडा हटकर शिव सेना राज्य सभा सांसद के एक लेख पर हड़कंप मच जाता है। संजय राउत ने अपने लेख में कहा है कि देश में जिस प्रकार से अल्पसंख्यक वोट को लेकर राजनीति की जाती है उसे ख़त्म करना चाहिए क्योंकि इससे देश के आने वाले चुनाव में बुरा नतीजा होगा मुसलमानो की हमदर्द पार्टी कांग्रेस और सपा अब उन्ही का समर्थन प्राप्त कर उन्ही के साथ खिलवाड़ कर रही है और उन्ही द्वारा मत प्राप्त कर सरकार में बैठ कर भेद भाव पैदा कर रही है। अगर इसी प्रकार से मुसलमानो का इस्तेमाल किया जाता रहा तो उनका विकाश नहीं हो पायेगा।

इसी को देखते हुए शिव सेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने एक बयान दिया था की अगर राजनीति में मुसलमानो का इसी प्रकार इस्तेमाल होते रहा तो मुसलमानो से मताधिकार वापस ले लिए जाएं, तो सभी  धर्मनिरपेक्ष राजनितिक दलों का धर्मनिरपेक्ष मुखौटा उतर जायेगा। इस पर कांग्रेस और ओवैशी की पार्टी ने हंगामा चालू कर दिया। आईआईएम पार्टी के विधायक का तो क़ानूनी नॉलेज इतना तेज था कि क्या बोला जाये। आज कल इसी प्रकार के नेता अगर राजनीति में आते रहे तो हम तो कहयेंगे भईया हम अनपढ़ ही ठीक है।

राजनीति के कीचड़ में कमल खिलने वाले ही आज कल कीचड़ की तरह दिख रहे हैं आप को याद होगा इन्ही के पार्टी के अध्यक्ष और संसद अकबरुद्दीन ओवैशी हैदराबाद में रहकर हिन्दुवों के नर संहार की बात करते हैं और चुनाव् प्रचार के दौरान कभी उद्धव ठाकरे को और कभी प्रधानमंत्री मोदी को हैदराबाद आने की धमकी देते है। शायद अभी तक उन्हें पता नहीं है कि हैदराबाद हिन्दुस्तान का ही एक अंग है न कि पाकिस्तान का। ओवेसी  ने सिव सेना  को ललकारते हुए कहा कि कोई माई का लाल उनसे वोटिंग का अधिकार  नहीं छीन  सकता। अगर इस प्रकार कर वार्ड राजनीति में चलते रहे तो इक न एक दिन सब मिटटी में मिल जायेगा  और राजनीति के गब्बर सिंह  भी ठाकुर की तरह नजर आने लगेंगे।

— नागेश शुक्ला

2 thoughts on “मुखौटे बदलती देश की राजनीति और पार्टियां

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख. भारत में अधिकांश राजनैतिक पार्टियों की कोई निश्चित नीति नहीं होती. वे अवसर के अनुसार चोला बदलती रहती हैं.

    • नागेश शुक्ला

      sahi kaha aap ne

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