बाल कविता

ईक लहरा बारिश हो गयी

ईक लहरा बारिश हो गयी
शहर गुलाबी हो गये ।
नदियों के किनारे भीग गये
नदियों में बूदें तैर गयी ।
हवा के झोंके सर्द हुए
ईंटों की गर्मी भभक गयी ।
सडकों पर नाली उफन पडीं
छप-छप बच्चों की शुरू भयी।
ईक लहरा बारिश कुछ ऐसी भयी
मौन मचल कर निकल पड़े ।

One thought on “ईक लहरा बारिश हो गयी

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया ! इसको थोड़ा विस्तार दीजिए।

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