राजनीति

बौद्धिक दिवालियेपन की ओर जाती कांग्रेस

विगत लोकसभा चुनावों में अति मुस्लिम प्रेम के कारण मात खा चुकी कांग्रेस सुधरने का नाम नहीं ले रही है। जब राहुल गांधी ने अपनी वापसी के बाद केदारनाथ धाम की 15 किमी यात्रा की थी तब टी वी चैनलों और मीडिया में पुराने कांग्रसियों ने ऐसा प्रदर्शन किया था कि मानो राहुल गांधी के नेतृत्व में अब कांग्रेस पार्टी अपनी पुरानी भूलों को सुधार करते हुए उदार हिंदुत्व का चेहरा जनता के सामने पेश करने जा रही है। राहुल की केदारनाथ यात्रा ण्क पूरी तरह से ड्रामेबाजी थी जिसका खुलासा पार्टी के हाल के दिनों मे उठाये गये कदमों और बयानों से साफ परिलक्षित हो गया है। आज कांग्रेस पार्टी बौद्धिक दिवालियेपन की ओर अग्रसर हो रही है। कांग्रेस को यह नहीं समझ में आ रहा है कि वह किधर जाये या फिर कौन सा आसान रास्ता चुनकर अपनी खोयी जमीन को पुनः प्राप्त कर सके। कांग्रेस के रणनीति कार उसे रसातल की ओर ले जा रहे हैं। जब तक अजय माकन और कपिल सिब्बल जैसे सलाहकार राहुल गांधी की टीम में रहेंगे और दिग्विजय सिंह जैस गुरू बयानबहादुर रहेंगे, तब तक कांग्रेस रसातल में ही चलती जायेगी।

विगत दिनों कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिमों के प्रति अपनी वफादारी दिखाते हुए योग दिवस से सम्बंधित आयोजनों से अपने आप को दूर कर लिया। फिर योग दिवस को लेकर दिग्विजय सिंह समेत तमाम कांग्रेसी नेताओं के ऐसे बयान आये जिससे पार्टी की छवि को आम जनता के बीच गहरा आघात लगा है। सोनिया और राहुल गांधी योग दिवस के आयोजनों से अपने आप को दूर करते हुए बहानेबाजी करके विदेश की सैर करने निकल गये। गांधी परिवार ने योग के प्रति जिस प्रकार का रवैया अपनाया उससे इस परिवार के चर्च प्रेरित व्यवहार का पता चलता है। जो लोग भारतीय संस्कृति व परम्पराओं का मजाक बनाते हैं उनका मजाक स्वतः ही बन जाता है और जगहंसाई के पात्र बन जाते हैं। गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी ने योग का विरोध करके अपने आप को जहां मुस्लिमों के साथ खड़ा बताया वहीं देश के बहुसंख्यक समाज में एक बहुत ही गलत संदेश कांग्रेस पार्टी के प्रति गया है।

दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने एक और भारी गलती कर दी है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जून 2015 को नोैेंवी बार रेडियो पर मन की बात कर रहे थे और उसमें उन्होंने सुरक्षा बीमा योजनाओं की लोकप्रियता और उनकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अगस्त महीने में रक्षाबंधन का त्यौहार है। क्यों न हम सभी देशवासी रक्षाबंधन के पहले एक जबरदस्त अभियान छेंड़े। हमारे देश की माताओं और बहनों को जनसुरक्षा योजनाओं का लाभ दें। उन्होनें अपील की है कि इस दिन लोग अपने परिवार की महिलाओं से लेकर घरेलू आया तक को यह बीमा पालिसी भेंट करें। सुरक्षा बीमा योजना के अलावा उन्होनें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का विकल्प भी बताया है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी की अपील के बाद भाजपा के विधायक, सांसद और पार्टी कार्यकर्ता पूरे जोर-शोर से यह अभियान चलायेंगे। एक प्रकार से पीएम मोदी की नजर महिला मतदाताओं पर टिक गयी हे। लेकिन दिवालिया कांग्रेस व मीडिया के एक बहुत बड़े वर्ग को पीएम मोदी की मन की बातें रास नहीं आ रही। मोदी की ‘मन की बात’ समाप्त होते ही कांग्रेसियों व टी वी चैनलों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया कि पीएम मोदी ने वसुंधरा-ललित-सुषमा-स्मृति पर अपना मौन नहीं तोड़ा और कालाधन कब वापस आ रहा व किसानों की समस्या पर कुछ नहीें बोला आदि-आदि।

लेकिन दूसरे बड़े कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बिलकुल नया स्वरूप ही प्रदान कर दिया और मीडिया में सारी सुर्खियां बटोरकर ले गये। आजाद ने यह कहकर सबको चैंकाने का प्रयास किया कि पीएम मोदी ने मन की बात में रमजान के पवित्र माह का उल्लेख क्यों नहीं किया। उनका मत का था कि पीएम मोदी ने रक्षाबंधन के माध्यम से सांप्रदायिक धु्रवीकरण का प्रयास किया है। जबकि वास्तविकता यह है कि कांग्रेस पार्टी ने रमजान के माध्यम से मुस्लिमों को बहकाने व भड़काने का असफल प्रयास कर दिया है। आजाद ने अपनी धर्मनिरपेक्षता का बखान करते हुए अन्य धर्मो के त्यौहारों का भी उल्लेख कर डाला कि पीएम ने उनका नाम क्यों नहीं लिया। यह कांग्रेस की ऐतिहासिक भूल है। यहां पर गुलाम नवी आजाद यह भूल गये कि पीएम मोदी ने रमजान की शुरूआत में ही उर्दू भाषा में टिवटर के माध्यम से मुस्लिम जनमानस को पवित्र रमजान की बधाई दी थी और पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांगलादेश के शासनाध्यक्षों को विशेषरूप से बधाई संदेश दिये थे। आजाद को तो इस बात का भी ज्ञान नहीं हैं कि पीएम मोदी की सरकार के एक साल पूरा होने पर एक पुस्तिका उर्दुू में भी छपवायी गयी थी।

पीएम मोदी की सरकार मुस्लिमों के कल्याण के लिए एक से बढ़कर योजनाएं ला रही है जिसका मुस्लिम जनमानस तहेदिल से स्वागत भी कर रहा है। पीएम मोदी मुस्लिमों के लिए उस्ताद, मानस योजना, नई मंजिल योजना सहित कई कल्याणकारी कार्यक्रमों का ऐलान कर चुके हैं। साथ ही अल्पसंख्यक विभाग को वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक धन आवंटित करने की बात कर चुके हैं। वहीं पीएम मोदी की सभी कल्याणकारी योजनाओं से अल्पसंख्यको को भी लाभ हो रहा है। बैंकों में जाकर मुस्लिम महिलाओें में इन योजनाओं के प्रति उत्साह देखा जा सकता है। कुछ दिनों पूर्व कई मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने पीएम मोदी से मुलाकात की जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाया कि मुसलमानों के लिए उनके दरवाजे रात 12 बजे के बाद भी खुले हैें। आज तीस लाख से अधिक मुसलमान भाजपा के सक्रिय सदस्य बन चुके हैं। योग में भी कई मुस्लिमों ने भाग लिया और अपनी सेल्फी भेजी। जब मुस्लिम समाज मोदी के खिलाफ अधिक सक्रिय नहीं हुआ तो अब कांग्रेस पार्टी रमजान के बहाने मुस्लिमों को भाजपा के खिलाफ भड़का रही है। मुस्लिम टोपी न पहनने से लेकर रमजान तक को लेकर कांग्रेस केवल अपने आप को हिंदू समाज से दूर कर रही है। इस प्रकार से उसका अपना बौद्धिक दिवालियापन उजागर हो रहा है।

टी वी चैनलों पर बहस के दौरान मुस्लिम नेताओं ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आज देश के मुस्लिमों के वर्तमान हालातों के लिए कांग्रेस पार्टी ही जिम्मेदार है क्योंकि देश में आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस का ही शासन रहा है या फिर अपने आप को मुसलमानों के हितैषी मानने वाले तथाकथित समाजवादियों का जिसे कांग्रेस का ही समर्थन मिलता था।

मृत्युंजय दीक्षित

One thought on “बौद्धिक दिवालियेपन की ओर जाती कांग्रेस

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख ! कांग्रेस केवल बुद्धिहीन चाटुकारों की फ़ौज है। उससे किसी सकारात्मक कार्य की आशा रखना व्यर्थ है।

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