आज भी याद है
आज भी याद है
बचपन मे
अपने सखीयों के साथ
उपवन मे जाना
छोटे -छोटे हाथो मे
छोटी-छोटी डॉलियॉ
अद्भुत लगते थे
रंग बिरंगे फूल देख
मन पुलकीत हो जाते थे
आज भी याद है
इधर उधर हरियाली देख
बाहे खिल जाते थे
फूलो को चुन-चुन
डालियॉ भर लेते थे
उन फूलो से फिर
अपना घर सजाते थे
आज भी याद है
सखीयो के साथ
आपस मे मिलकर
हठखेलियॉ खेलना
लडना मनाना
नित्य होता रहता था
आज भी याद है….
निवेदिता चतुर्वेदी…
यादों से हँसी आती है
जीवन में उजास फैल जाता हा