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काव्या की गोष्ठी

DSC_53324 अक्टूबर, दिन रविवार,मोती महल लान, लखनऊ पुस्तक मेला में लखनऊ के साहित्यिक काव्या समूह की कवि गोष्ठी कैप्टेन राखी अग्रवाल ने सरस्वती वंदना से शुरू की। ब्रह्मा कुमारी स्नेह लता, प्रख्यात कवि डॉ सुरेश, एपवा की ताहिरा हसन, विख्यात कहानीकार रजनीगुप्त, काव्या समूह की संचालक निवेदिता श्रीवास्तव ने गोष्ठी को सम्बोधित किया।

इलाहाबाद से आयी कवियित्री सरस दरबारी ने एक अंतराल के बाद, नवगीत लेखिका संध्या सिंह ने दुविधाओं की पगडंडी पर, आभा खरे ने क्षणिकाएं, साजिदा सबा ने गजल कभी वक्त मिले.. तो चुलबुली कवियित्री विजय पुष्पम ने बाल गीत हे बादल, निवेदिता श्रीवास्तव ने पैदा तो हो जाती हैं पर जिन्दा नहीं बचती लड़कियाँ सुनाया। गोष्ठी में विजय राज,DSC_5366 प्रदीप कुशवाहा, मनोज शुक्ल, कुंती मुखर्जी, ब्रजेश नीरज, मनोज श्रीवास्तव, अजीत शेखर, शैलेन्द्र शर्मा, योगेश पाण्डेय, अलका प्रमोद आदि ने काव्य पाठ किया।