कविता

“कुछ हाइकु”

कटते बाग
उजड़ती धरती
रूठता मेघ॥-1
लगाओ पेड़
जिलाओ तो जीवन
बरसे मेह॥-2

बरसों मेघा

पवन पुरवाई

धरा तृप्त हो॥-3

काला बादल

छाया रहा घनेरा

आस जगी है॥-4

नहीं भूलती

वो बरसाती रात

बहता पानी॥-5

बहा ले गई

भावनाओं को साथ

शिथिल पानी॥-6

धरती मौन

गरजता बादल

पानी दे पानी॥-7   

देखो तो आज

चली है पुरुवाई

बदरी छाई॥-8  

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी   

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

2 thoughts on ““कुछ हाइकु”

  • अर्जुन सिंह नेगी

    सुन्दर हाइकु!

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय अर्जुन सिंह नेगी जी, स्वागत है सर हार्दिक आभार

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