गीतिका/ग़ज़ल

मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले

तेरे बज्म  में  कुछ  सुनाने  से पहले ।
मैं  रोया  बहुत  गुनगुनाने  से पहले ।।

न  बरबाद  कर  दें  ये  नजरें इनायत ।
वो दिल मांगते  दिल बसाने से पहले ।।

है इन मैकदों में चलन  रफ्ता रफ्ता ।
करो होश गुम कुछ पिलाने से पहले ।।

तेरे हर सितम से सवालात इतना ।
मैं लूटा गया क्यूँ जमाने से पहले ।।

ओ बदल जाने वाले बदल ही गया तू ।
मुहब्बत की कसमें निभाने से पहले ।।

ख़रीदार निकला है वो आंसुओं का ।
जो आकर गया आजमाने से पहले ।।

जुबाँ को हया ने इजातजत कहाँ दी ?
शबे वस्ल नजरें झुकाने से पहले ।।

बयां कर गयी सारे चेहरे की रंगत ।
तेरे दर्दे गम को छुपाने से पहले ।।

तू कहकर गया अलविदा फख्र से क्यों ।
जनाजे को मेरे उठाने से पहले ।।

           –नवीन मणि त्रिपाठी 

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक naveentripathi35@gmail.com

3 thoughts on “मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहुत लाजवाब ग़ज़ल

  • कालीपद प्रसाद

    बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखा है नवीन मणि जी ,क्या इसका बह्र: फाईलुन फईलुन फईलुन फाईलुन है (२२२,१२२,१२२,२२२ }?

  • अर्जुन सिंह नेगी

    बेहद सुन्दर

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