कवितापद्य साहित्य

मैं सबका दुलारा कृष्ण हूँ|

आज मैं….

आज मैं
देवकी का दर्द
यशोदा का वात्सल्य
राधिके का प्रेम
रुक्मिणी का खास हूँ

आज मै
वासुदेव की चिंता
नंद का उल्लास
गोपियों का माखनचोर
पनघट का रास हूँ

आज मैं
कंस का संहारक
कालिया का काल
सुदामा का सखा
योगमाया का विश्वास हूँ

आज मैं
द्रौपदी का भ्राता
पार्थ का सारथी
गीता का प्रणेता
युग युग की आस हूँ

आज मैं
सम्पूर्ण ब्रह्मांड लिए
जग का पालनहार
सोलह कलाओं से युक्त
नीला आकाश हूँ

हाँ, मैं सबका प्यारा, दुलारा कृष्ण हूँ|

–ऋता शेखर ‘मधु’