शिशुगीत

शिशुगीत – २१

१. दुर्गापूजा

दुर्गापूजा आनेवाली
हँसी-खुशी है छानेवाली
धूम मचाएँगे मेले में
सबके मन को भानेवाली

२. विजयादशमी

अपने मन में राम बसाओ
रावण को हर साल जलाओ
विजयादशमी यही सिखाती
घर-घर ये संदेश सुनाओ

३. गुलाबी ठंढ

ठंढ गुलाबी सिरपर आई
निकले कंबल और रजाई
पानी-पानी अब मत करना
खानी होगी तुम्हें दवाई

४. जल्दी आना

गर्मी वापस जल्दी आना
सभी ओर फिर से छा जाना
ठंढ हमें घर में रख देती
मस्ती का हो तुम्हीं ठिकाना

५. लिट्टी-चोखा

लिट्टी-चोखा की ऋतु आई
टीवी देखें ओढ़ रजाई
गिरती ओस बताती हमको
मौज नयी कुछ कर लो भाई

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन