गीतिका/ग़ज़ल

तेरे मिलने का तो एक गुलाब ही निशानी है

तेरे मिलने का तो एक गुलाब ही निशानी है
तेरे मेरे प्यार की पहल भी इक कहानी है

रूठना मनाना तो हर रोज लगा ही रहता है
इसे दिल से न लेना ये तो बस इक दिल्लगी हैं

सभी वादें तोड एक दूजे के हुये हमदोनो है
तभी तो सबसे अलग अपनी पहचान बनानी है

क्यो डरते है क्यो भागते है इस दूनियॉ वालो से
जब सात जनम साथ रहने का कसमे खाई हैं

चाहे जितनी भी हो दूरियॉ हमदोनो के बीच
या रास्ते मे आग,पानी हो सबको ही मिटानी हैं|

    निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४