लघुकथा

सास भी कभी बहु थी

हमेशा नसीहत देने वाली सास से रीमा परेशान सी सी थी हर वक्त बच्चे पालने से लेकर हर चीज में ही सलाह देती रहती और बीते वक्त में ही जिया करती थी हम ऐसे करते हमारे वक्त में वैसा होता था उनका दिन भर का गुणगान अपना ही रहता।धीरे धीरे चतुर रीमा को अपनी जगह ही अपने घर में डावांडोल लगने लगी ।
एक दिन अचानक ही सास रीमा को बुलाकर बोली “तुझे लगता है ना मैं तुम्हें हर वक्त तुम्हारे हर काम में सलाह दे दखल अन्दांजी करती हूँ पर पता है मेरी सास ने मुझे राय सलाह दी होती तो शायद आज मेरे दो बेटे होते “कहते कहते आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी ।
“ओह माजीं ,मैंने आपको कितना गलत समझा ।कितनी ही बार आपके घरेलू नुक्सों से राहुल की छोटी मोटी बीमारियों का इलाज आपने आराम से कर दिया ।मैं कितनी मुर्ख हूँ।”
“नहीं नही रीमा मैंने भी यही गलती की थी जब मैं बहु थी पर शायद मेरी सास की बातें मैंने मानी होती तो हालात अलग होते।”
“जब राहुल की शादी हो जायेगी तो हम दोनों सासे मिलकर उसकी बहू को ऐसे ही सिखायेंगे ।” सास बहू की चुहलबाजी से घर मे रौनक से समा बन्ध गया।

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - alpanaharsh0@gmail.com बीकानेर, राजस्थान