बाल कविता

दादा जी गये बाजार

एक दिन दादा जी गये बाजार
वहॉ से लाये तोते चार
साथ मे दो पिंजडा लाये
घर ला कर मुझे दिखलाये
देखो कितना प्यारा है
तेरा दोस्त निराला है
आज से  इसके साथ तुम्हे
सुबह शाम खेलना है
खाना पानी का ध्यान इसका
तुम्हे ही बस रखना है
अच्छे अच्छे बात सिखाना
जो स्कूल से पढकर आना
इसको भी वही पाठ पढाना
मिठी मिठी बाते करना
कभी नही कडवा बोलना
नही तो ये दोस्त तेरा
तुझसे नराज हो जायेगा
तु जैसे बोलेगा इसको
वो भी सुन तुझको बोलेगा
ये बस वही सिखता है
जो घर मे होता है
इसलिये मेरे प्यारे मुन्ना
कभी नही कटू बोलना
जितना हो सके तुमसे
हमेशा मिठी बोली बोलना|

निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४