लघुकथा

तासीर

“मैंने तेरी माँ का पल्लू थामा था न कि साथ लाये खिलौने को भी पालने का ठेका लिया था।” उनके कहे शब्द अभी भी उसके जहन में थे।

……… सौतेले होने का दंश पिता के कटु शब्दों में जब तब उसे शूल बनकर चुभता ही रहता था। माँ की ममता ने उसे लापरवाह और नकारा बना दिया था तो पिता की कड़वी बातों ने उसे जिद्दी कर दिया था लेकिन उनके कहे इन्ही शब्दों ने उसे गहरी चोट पहुँचाई थी। हफ़्तों घर से गायब रहने के बाद आज जब वह अपने नकारापन के दाग को मिटा, ये सोचकर घर लौटा था कि माँ को साथ ले हमेशा के लिए कठोर पिता का घर छोड़ देगा तो माँ के ही साथ चलने से इंकार करने पर वह हैरान हो गया।………

“माँ, तुम इन्हें छोड़ मेरे साथ नहीं चलना चाहती,जिन्होंने कभी मुझे कोसने का कोई अवसर नही छोड़ा।” उसके चेहरे पर वितृष्णा झलक रही थी।

“हाँ बेटा।” माँ की आवाज नम थी। “क्योंकि मैं ही गलत थी जिसने हमेशा तुम्हारी गलतियों का समर्थन किया, इन्होंने तो हमेशा तुम्हारे अंदर के अहसास को ही जगाना चाहा।”

“या हर बार मुझे ये बताना चाहा कि मैं सिर्फ एक खिलौना…..।”

“नहीं बेटा नहीं!” माँ ने उसकी बात को काट दिया। “जहर की तासीर हमेशा जहर ही नही होती, कभी कभी ये जीवन को बचाने के काम भी आता है। वह बुरे नहीं है, तेरे पिता को मुझसे अधिक कौन जान सकता है बेटा…” कहते कहते वह अनायास ही भावुक हो गयी। “…..क्योंकि एक दिन ‘मेरे इसी खिलौने’ को समाज में एक नाम देने के लिए इन्होंने ही मेरा हाथ थाम था।”
…… पिता के कहे शब्द फिर उसके जहन में गूंजने लगे थे लेकिन इस बार उसकी आँखें नम हो चली थी।

विरेन्दर 'वीर' मेहता

विरेंदर वीर मेहता जन्म स्थान/निवास - दिल्ली सम्प्रति - एक निजी कंपनी में लेखाकार/कनिष्ठ प्रबंधक के तौर पर कार्यरत। लेखन विधा - लघुकथा, कहानी, आलेख, समीक्षा, गीत-नवगीत। प्रकाशित संग्रह - निजि तौर पर अभी कोई नहीं, लेकिन ‘बूँद बूँद सागर’ 2016, ‘अपने अपने क्षितिज’ 2017, ‘लघुकथा अनवरत सत्र 2’ 2017, ‘सपने बुनते हुये’ 2017, ‘भाषा सहोदरी लघुकथा’ 2017, ‘स्त्री–पुरुषों की संबंधों की लघुकथाएं’ 2018, ‘नई सदी की धमक’ 2018 ‘लघुकथा मंजूषा’ 2019 ‘समकालीन लघुकथा का सौंदर्यशस्त्र’ 2019 जैसे 22 से अधिक संकलनों में भागीदारी एवँ किरदी जवानी भाग 1 (पंजाबी), मिनी अंक 111 (पंजाबी), गुसैयाँ मई 2016 (पंजाबी), आदि गुरुकुल मई 2016, साहित्य कलश अक्टूबर–दिसंबर 2016, साहित्य अमृत जनवरी 2017, कहानी प्रसंग’ 2018 (अंजुमन प्रकाशन), अविराम साहित्यिकी, लघुकथा कलश, अमर उजाला-पत्रिका ‘रूपायन’, दृष्टि, विश्वागाथा, शुभ तारिका, आधुनिक साहित्य, ‘सत्य की मशाल’ जैसी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित। सह संपादन : भाषा सहोदरी लघुकथा 2017 (भाषा सहोदरी), लघुकथा मंजूषा 3 2019 (वर्जिन साहित्यपीठ) एवँ लघुकथा कलश में सम्पादन सह्योग। साहित्य क्षेत्र में पुरस्कार / मान :- पहचान समूह द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय शकुन्तला कपूर स्मृति लघुकथा’ प्रतियोगिता (२०१६) में प्रथम स्थान। हरियाणा प्रादेशिक लघुकथ मंच द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता (२०१७) में ‘लघुकथा स्वर्ण सम्मान’। मातृभारती डॉट कॉम द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता (२०१८) ‘जेम्स ऑफ इंडिया’ में प्रथम विजेता। प्रणेता साहित्य संस्थान एवं के बी एस प्रकाशन द्वारा आयोजित “श्रीमति एवं श्री खुशहाल सिंह पयाल स्मृति सम्मान” 2018 (कहानी प्रतियोगिता) और 2019 (लघुकथा प्रतियोगिता) में प्रथम विजेता।