कविता

कविता : अपने जीवन को बचाओ

हमें नहीं काट रहे हो तुम
काट रहे हो अपने जीबन को ,
मुझे मारकर तुम
बुला रहे हो अपने मरण को.
मै जैसा भी हूं , तेरे
जीवन को बचाता हूं
हर जख्म पर तेरे,
मै दवा के काम आता  हूं।
मेरा हर एक अंग,
तेरे जीवन को बचाए रखा
फिर भी तू न जाने क्यूं
मुझको मिटाने की सोचा
मुझको काटने से बचाओ
मैं  तेरे जीवन को बचाऊंगा
जो सुख मिलते नहीं तुझे
मै तुम्हे उसका हक़दार बनाऊंगा.
मुझे बढाकर के देखो
तेरी हर कमी पूरी होगी
जो चाहोगे , वो मिलेगा
हरपल होठो पर हँसी होगी।

संतोष कुमार वर्मा

हिंदी में स्नातक, परास्नातक कोलकाता, पश्चिम बंगाल Email-skverma0531@gmail.com