कविता

कविता : प्रताड़ित नारी

कहते है नर-नारी है समान
पर क्यों होता नारी का ही अपमान
कहने को है दोनों समान
पर कहीं नहीं मिलता नारी को सम्मान
जन्म से पहले ही होने लगती है
प्रताड़ित नारी
फिर भी हर जगह प्रसन्नता बिखेरती ही है नारी
पृतसत्तात्मकता मिटती  नहीं है हमारी
कैसे ले पायेगी अपना
अधिकार आज की नारी …..?
संतोष कुमार वर्मा 

संतोष कुमार वर्मा

हिंदी में स्नातक, परास्नातक कोलकाता, पश्चिम बंगाल Email-skverma0531@gmail.com