मुक्तक/दोहा

“कता/मुक्तक”

दिल की बातें कभी-कभी होंठों पर भी आ जाती है।

मुस्कुराहट मन में खिल कभी लबो पर छा जाती है।

गुजरे वक्त की नजाकत कभी गम गुदगुदा जाए तो-

तन्हाई घिरी हँसी लपक सुर्ख चेहरे को पा जाती है॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ