कविता

पता नहीं क्यों?

पता नहीं क्यों तुमको सेना पर पत्थर मरने वाले भटके नौजवान लगते हैं.
पता नहीं क्यों तुमको भारत तेरे टुकड़े होंगे बोलने वाले देश प्रेमी लगते हैं.
पता नहीं क्यों तुमको राष्ट्रीयगान ना गाने वाले देश के वाशी लगते हैं.
पता नहीं क्यों तुमको राम के सबूत मांगने वाले भारत वाशी लगते हैं.
पता नहीं क्यों तुमको तिरंगा फाड़ने वाले अपने भाई लगते हैं.
पता नहीं क्यों तुमको गऊ खाने वाले अच्छे सच्चे लगते हैं.
पता नहीं क्यों तुमको अपने देश को लूटने वाले देश भक्त से लगते हैं.
मेरी नजरों में ये सारे देशद्रोही हैं इनको हमें तुरंत देश से भगा देना चाहिए.
नहीं तो ये भविष्य में बहुत बड़ा संकट लाने वाले हैं.

धर्मवीर सिंह पाल

फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई के नियमित सदस्य, हिन्दी उपन्यास "आतंक के विरुद्ध युद्ध" के लेखक, Touching Star Films दिल्ली में लेखक और गीतकार के रूप में कार्यरत,