लघुकथा

लघुकथा : स्वाभिमान (ढीली पगड़ी)

घर में अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था !शाम जब से पिताजी ने पांडे जी से फोन पर बात की तभी से पिताजी बेचैन और माँ उदास दिखीं ! मीनू दी को शायद वजह पता चल चुकी थी,उनकी तरफ इना ने प्रश्नवाचक नज़रों से देख जानना चाहा तो दीदी नज़रें चुरा आंसू पोंछ रही थीं ! शायद पांडे परिवार ने ‘पसंद ‘ की मोहर नहीं लगाई !
कल सुबह से ही घर में हलचल मची थी ! लड़के वालों की आवभगत में कोई कमी ना रहे सो घर को दुल्हन सा सजाया गया था !वैसे इरादा तो होटल में जाकर दिखाने का था किन्तु दादी माँ भी लड़के को एक नज़र देखना चाहती थीं और वो होटल जाने को तैयार नहीं थीं ! लड़का फौज में मेजर है,इना की हिदी टीचर का बेटा,गोरा-चिट्टा,छप्पन इंची चौड़ी छाती का सुदर्शन,मृदुभाषी !
पांडे जी सपरिवार आये तो दी हलके मेकअप और गुलाबी साड़ी में सजी चाय लेकर कमरे में गयीं ! थोड़ी औपचारिक बातों के बाद उन्हें वापिस अन्दर भेज दिया क्यों कि वो सबके सामने सहज नहीं हो प् रही थीं !लेकिन इना तो अपनी मैडम से निसंकोच बतियाये जा रही थी,उसे किस बात का संकोच होता ? एक घंटा पूरा परिवार यहाँ वहां की बात कर घर वापिस चला गया था और इना डूब गयी थी दीदी की शादी की तैयारी के सपनों में ! अब समझ नहीं आ रहा था यह सन्नाटा क्यों है ?
वो सोच में डूबी बैठी थी तभी माँ कमरे में आयीं !
” इना, तुम्हारी मैडम और उनके परिवार को मीनू की जगह तुम पसंद हो ! वैसे हमने उनसे कह दिया है कि शादी हम पहले मीनू की ही करेंगे वो इना से छह साल बड़ी है और इना की पढाई अभी पूरी नहीं हुई ! लेकिन रिश्ता पक्का करने से पहले तुम्हारी मंशा जान लेना जरुरी है तो सोच के बताओ क्या तुम्हे रिश्ता पसंद है ?”
इना पर गाज सी गिर गयी ! यह क्या बात हुई भला ? वैसे मैडम के बेटे में कोई बुराई नहीं थी लेकिन दीदी की भावनाओं का क्या ? वो जब भी उनसे मिलेंगी तो दिमाग में यह बात नहीं होगी कि ‘इनका रिश्ता मेरे लिए आया था ?’ क्या खुद इना के मन से ग्लानि जायेगी कभी ?
” माँ हम लड़कियां कोई सब्जी-भाजी थोड़े ही हैं कि यह नहीं वह ?मेरी तरफ से साफ़ ना है ,आप मना कर दो ! आखिर उन्हें भी तो पता चले कि अस्वीकार करने का दुःख कैसा होता है !”
— पूर्णिमा शर्मा

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !