गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

हसीन रातों से भरा हुआ तूम्हे मंजर दिखाऊंगा
फुर्सत मिले तो आना मैं अपना घर दिखाऊंगा

बहारों मे सुख जाया करते होंगे वो तेरे शहर में
पतझड़ मे खिला मैं गाँव का शजर दिखाऊंगा

मेरी आँखो की नमी तूमको दिखावा लगती हैं
तन्हाई मे आसुओं से भरा समुंदर दिखाऊंगा

वो आफ़ताब कैसे लेकर आता हैं मेरे लिए सम
घुट घुट कर मरती सासों की सहर दिखाऊंगा

लाश पड़ी हैं मेरी बरसों से तेरे दिदार के लिए
सुनी गली इंतज़ार में तड़पती नजर दिखाऊंगा

ऐतबार कर इंतजार कर तेरी मर्जी है आकाश
मैं तो अजल हूं मै बस अपना असर दिखाऊंगा

आकाश राठोड-9067547906

आकाश राठोड़

SSC लेखक गीतकार गज़ल कविता आकाश राठोड G/o राम मंदीर के पास मुर्ती सोयगांव जिला औरंगाबाद